पापा”, ये शब्द सुनते ही दिल मे एक हिफाज़त का भाव आता है, लगता है के चाहे सारा जहान हमारे खिलाफ हो अगर ‘पापा’ अगर हमारे साथ है तो हम हर जंग जीत ही जायेंगे| हम सबने अपने पिता को हजारो दर्द लेकर भी मुस्कुराते देखा है| भगवान ने क्या खूबी दी है ना पिता को, कि वो अपने बच्चो से प्यार तो बहूत करते है मगर कभी कुछ जताते नहीं | कई बार सोच और उमर की अंतर की वजह से बहूत बार हमारे बीच नोक झोंक हो ही जाती है और जब वो साथ ना हो, ग़ुस्सा हो या कुछ और….
पर उनसे जुड़े अहसास भी हमारी हिम्मत बन जाते है । लेकिन जब आज दुनिया की हज़ार चुनौतियों के बीच जब हम स्वयं को ही खड़ा पाते है, तो एहसास होता है, के उस ज़िम्मेदार कंधे वाले चेहरे के पीछे भी कितनी संवेदनाये छिपी होती है |
आज Father’s Day है , यूँ तो मेरा मानना है की पिता को ‘थैंक यू’ बोलने के लिए किसी दिन की क्या जरुरत है, मगर एक दिन मान लेने से अगर हमें एक ‘special occasion’ मिल जाता है तो इसमें हर्ज़ ही क्या है|
आज मेरे दिल की डायरी से कुछ पंक्तिया, मैं मेरे ‘हीरो’, मेरे पिता के लिए कहना चाहती हूँ….
चन्द पंक्तियाँ पापा के नाम
“ज़िंदगी की सुलगती धूप मे, राख बनते देखा था आपको,
बंदगी की बिखरती रेत मे, सिकते हुए देखा था आपको,
हाँ था वो दौर कुछ ऐसा कि , साथ रहते न बनता |
परवाह बहूत करते आप, पर कभी कहते न बनता |
देखा था मैंने उनको छिपके आँसू बहाते
याद जब आती पापा आपकी उस वक़्त पापा आप कहाँ थे ?
साथ ना थे आप कभी साथ होकर,
माला माल हूँ मैं आज भी सब कुछ खो कर,
क्यों? आख़िर क्यों?
क्योंकि सब कुछ सहकर भी आज हम साथ है,
सर पर मेरे आपका साया और हाथों में मेरे आपका हाथ है|
ना तो थी मै गुड़िया, ना ही कोई परी,
मैं तो थी बस एक पुड़िया दर्द भरी|
पर फिर भी कुछ कशमकश जरुर थी,
बाप बेटी के इस रिश्ते मैं,
यही तो बात है यारों और यही जज़्बात है |
हालात चाहें कैसे भी क्यों ना हो बस यही मेरे जज़्बात है
यही मेरे जज़्बात है …..