माँ शब्द नही पूरा संसार होता है
कहते है सच्चा प्यार अक्सर अधूरा होता है पर माँ का स्नेह हमेशा अपार और दुगुना ही होता है
माँ ना एक ख़ुदा का बनाया ज़रिया है, ममता का दरिया और कभी हमें जज ना करे वो नज़रिया है….
बाक़ी रिश्ते हम जन्म के बाद बनाते है पर माँ के साथ रिश्ता, वो 9महीने पहले ही बन जाता है..
चोट हमें को लगती है, दर्द माँ को होता है तभी तो मुँह से सबसे पहला शब्द ऊयी माँ ही निकलता है….
ये ममत्व भी 5 तत्व अग्नि, जल, वायु, आकाश, पृथ्वी की तरह ही बहुत आवश्यक है|
माँ के बिना जीना क्या होता है कोई मुझसे पूछे|
9 साल की थी, जब आपके बिना जीना सीखना पड़ा…
माँ को समर्पित कुछ पंक्तियाँ ,
तेरी तारीफ मे क्या लिखूँ
जब खुदा ने मेरी तकदीर मे ही तुझे लिख दिया
ऐ प्रभु अब तुझसे क्या मन्नत माँगू
जन मेरी माँ के चरणों मे पूरी जन्नत का सुख मिल गया
तू इस जहाँ मे मेरे साथ नही तो क्या
मेरी रूह मे तू , मेरी साँस मे तू
अल्फाज़ मे तू , अहसास मे तू
हर रजाँ मे तू , हर फिज़ा मे तू
यहाँ भी तू,, वहां भी तू
फिर कहाँ नहीं है तू ?
साथ ना होकर भी तू हमसाया है ,
इसलिए ही तो टी ममता को इतना पवित्र फ़रमाया है |
माफ़ करना माँ तुझे शैतानियों से मैंने इतना सताया है|
तेरी महिमा का ज़िक्र भला कहाँ कोई का पाया है?
– नीतू की कलम से